नारी ही नारायणी – Pratik Joshi

About Poetry

“नारी ही नारायणी” is a poem by poet Pratik Joshi. The poem is a part of the “Naari Hai Narayani: Yatra Naryastu Pujyante” poetry compilation book published under the Shabd Vandana project on account of Women’s Parv 2023.


नारी ही नारायणी

हर परिवार की आन है नारी,
शक्ति का दूसरा नाम है नारी,
जिसके बिना संसार का आगे बढ़ना है नामुमकिन
ईश्वर का वो वरदान है नारी,
मां बन कर व प्यार से सहलाती हैं,
तो शिक्षा देने के लिए डांटने से ना कतराती हैं,
चाहे कोई भी रूप दो बहन / बेटी / भार्या या मां,
हर रूप में सिर्फ प्यार देना जानती हैं,
हां यह वही नारी है जो नारायणी कहलाती है ।।

यूं ही नहीं इसे देवी का सम्मान दिया जाता,
इस सम्मान के पीछे बहुत कुछ लुटाती है,
हमारे देश में तो हर छोटे-बड़े त्योहारों पर,
बेटियां ही तो पूजी जाती है ।।
गर्भस्थ शिशु को जन्म देने के खातिर,
जो अपनी जान पर खेल जाती है।
और उसके बड़े होने तक अपने सारे शौक भूल जाती है। बेहतर पढ़ाई का अवसर मिलने पर
जो अपनी खूबियां निखारती है,
और पुरुषों से कंधों से कंधे मिलाकर आगे बढ़ती जाती है। यदि अब भी यकीन ना आए मेरी कही बातों का
तो कुछ दिन नारी बनकर गुजार ज़रा,
खुद ब खुद पता चल जाएगा,
क्यों नारी नारायणी कहलाती है ।।


NOTE: The originality of the poetry is confirmed by the author. The author shall be responsible for any liability.


REFERENCES