About Poetry

“नारी…. कौन हो तुम” is a poem by poet Dr. Renu Hingorani. The poem is a part of the “Naari Hai Narayani: Yatra Naryastu Pujyante” poetry compilation book published under the Shabd Vandana project on account of Women’s Parv 2023.
नारी…. कौन हो तुम
पुरुष समाज के लिए एक नागवार अंग l
घर सँभालती है तो, नाक़ामयाब है l
घर से निकलकर दफ़्तर जाती है तो, निर्लज है,
पुरुष के कदम से कदम मिलाकर चले तो बेशर्म है, बदलिहाज़ है… l
भूल मत ऐ माँ के दुलारे…
बहन की आँखों के तारे….
बेटी के ग़ुरूर….
संसार चलानेवाली नारी है l
जनजीवन देनीवाली नारी है l
तेरे सुख – दुःख में सोने-जागनेवाली…. माँ, बहन, बीवी – नारी ही है… l
अस्तित्व तेरा ऐ पुरुष… उसके अस्तित्व से है l
पहचान तेरी उसके कोख की क़र्ज़दार है… l
बहुत देर न हो जाए… ये वक़्त बीत न जाए…
रोक ले उस ज़ुबान को, जो नारी की उपेक्षा करे…
रोक उस हाथ को, जो उसे बचाने नहीं, बर्बाद करने को उठे….
स्वयं में झाँक… नारी को अपने पैरों की जूती समझनेवाले….
क्या ये नारी से जलन है तेरी या है ख़ौफ़ का कोई समंदर है तेरे अंदर…
सम्मान दे खुलकर… तू घबराता क्यों है?
मन के गुस्से को…चिढ़ में उभारता क्यों है…?
अब बंद कर ये दिखावा, ये तोहमत…
ये विश्व महिला दिवस मनाने का ढोंग….
नारी एक दिन के सम्मान की मोहताज नहीं है l
वह तो हररोज़ पूजनीय है, वंदनीय है….l l
NOTE: The originality of the poetry is confirmed by the author. The author shall be responsible for any liability.